सतनाम धर्म के प्रवर्तक बाबा घासी दास को सत सत नमन समाज सुधारक बाबा जी से जुड़ी बातों का जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से जानते है यहां धाम अदभुत है यहां आप अपने दोस्तो और रिश्तेदारों के साथ आ सकते
गिरौदपुरी धाम के रूप में प्रसिद्ध है आइए जानते हैं गिरौदपुरी धाम के बारे में
• सतगुरु बाबा घासीदास जी का मुख गुरु गद्दी - गिरौदपुरी गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है इसे और पेड़ के नीचे बाबा जी ने 6 महीने की कठोर तपस्या के बाद "सतनाम" आत्मा ज्ञान की प्राप्ति थी इसलिए इसे तपोभूमि कहा जाता है
• चरण कुंड - मुख्य गुरु की तपोभूमि से दक्षिण से थोड़ी दूरी पर पहाड़ी के नीचे एक कुंड है जिसे चरण कहते हैं
• अमृत कुंड - चरण कौन से 100 मीटर आगे अमृत कुंड है बाबा जी ने अपने अलौकिक शक्ति से जीव जंतु और जंगली जानवरों के संकट निवारण के लिए नागरिक जगत किया था इसका पवित्र जल वर्षों रखने पर भी खराब नहीं होता है तथा यहां बारोमास जलभरा होता है
• ऊंचा जैतखाम - छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्मित 54 करोड़ रूपए की लागत से बना सफेद रंग का विशाल जैतखाम लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है जिसकी ऊंचाई 243 फीट है
• छातापहाड़ - तपोभूमि से 7 किलोमीटर दूर बार जंगल के बीच एक बहुत बड़ी शिला है जिसे छातापहाड़ कहते हैं सतगुरु बाबा जी द्वारा तप , ध्यान, ओर साधना किया गया था
• पंचकुंडी - तपोभूमि से 6 किलोमीटर आगे जाने पर पंचकुंडी हैं यहां पर अलग-अलग 5 कुंड बने हैं जल का पान श्रद्धालुगण करते हैं
• जन्मभूमि - गिरोधपुरी बस्ती में स्थित जन्मभूमि ना केवल सतगुरु बाबा घासीदास जी की जन्मभूमि बल्कि उनके बच्चों की जन्म स्थली है जन्म स्थल के द्वार पर बहुत पुराना कहां स्थापित है यह बाबा जी का घर है इस जगह पर आप को उनके जन्म स्थली बावड़ी, बाड़ी,सभी को दर्शन करने को मिलेगा
• साफुरामठ एवं तालाब - जन्म स्थल से करीब 200 गज की दूरी पर पूर्व दिशा में एक छोटा सा तालाब है जिसके किनारे सफूरा मठ हैं बाबाजी जब ज्ञान प्राप्ति के बाद वापस आए तब उनकी पत्नी सफुरा की देहांत हो चुका जिसे बाबा जी सतनाम सतनाम काकर अमृत पिला कर पुनर्जीवित किया था उस घटना की स्मृति में यह मठ बनाया गया है