भारतीय लोग परिवार के साथ घूमने का प्लान हमेशा बनाते रहते हैं लेकिन, कभी-कभी सही जगह ना मिलने पर प्लान भी ड्रॉप कर देते हैं। ऐसे में अगर आप भी अपनी बिजी लाइफ में से कुछ समय परिवार के साथ घूमने का निकाल चुके हैं और किसी बेहतरीन जगह की तलाश कर रहे हैं, तो आज इस लेख में हम आपको लोकप्रिय पर्यटन स्थल के बारे में बताएंगे तो हमारे साथ बने रहिए
बाबा का जन्म स्थान - बलौदाबाजार से 40 किमी दूर तथा बिलासपुर से 80 किमी दूर महानदी और जोंक नदियों के संगम से स्थित, गिरौधपुरी धाम छत्तीसगढ़ के सबसे सम्मानित तीर्थ स्थलों में से एक है। इस छोटे से गांव, जिसमें आध्यात्मिकता और ऐतिहासिक हित के गहरे संबंध हैं, छत्तीसगढ़ के सतनामी पंथ, गुरु घासीदास के संस्थापक का जन्मस्थान है। इस क्षेत्र के एक किसान परिवार में पैदा हुए, एक दिन वह छत्तीसगढ़ में एक बहुत सम्मानित व्यक्ति गुरु घासीदास बन गया। तीर्थयात्रियों ने उन्हें ‘सीट’ पर पूजा करने के लिए यहां पहुंचाया, जो जेट खंबा के बगल में स्थित है। कहा जाता है कि उन्होंने औरधारा वृक्ष के नीचे लंबे समय तक तपस्या की है जो अभी भी वहां है। इस पवित्र स्थान को तपोबुमी भी कहा जाता है। चरन कुंड एक पवित्र तालाब और वार्षिक गिरौदपुरी मेला की साइट है। यहां से एक और किलोमीटर प्राचीन अमृत कुंड स्थित है, जिसका पानी मीठा माना जाता है।
गिरोदपुरी क्यों प्रसिद्ध है - गिरौदपुरी धाम छत्तीसगढ़ के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है, वास्तव में यह एक स्तंभ है जिसे एक विशाल सत्य का प्रतीक के रूप में माना जाता है, इस स्तंभ को सतनाम धर्म के लोगों द्वारा विशेष रूप से पूजा जाता है, सतनाम धर्म को आम बोलचाल की भाषा में सतनामी जाति के रूप में जाना जाता है
गिरौदपुरी धाम का इतिहास : आध्यात्म और इतिहास से इस जगह का बहुत ही गहरा नाता रहा है। सबसे विशेष बात यह है कि सतनामी पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास जी की जन्मस्थली होने के चलते देश, विदेश से पर्यटक यहां पर आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति की खोज में यहां आते हैं। गुरु घासीदास जी के बारे में यह भी प्रचलित है कि उनका जन्म एक बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ था। जैतखाम के ठीक बगल में ही आज भी उनके बैठने का स्थान वैसी ही स्थापित है। साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि आत्मज्ञान की प्राप्त करने के लिए उन्होंने औराधरा वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या किए थे, जो वर्तमान में तपोभूमि के नाम से जाना जाता है।
भारत का सबसे ऊंचा स्तंभ जैतखाम : इसका निर्माण रमन सिंह के शासनकाल में 2008 से 2012 तक लगभग 50 करोड़ रुपए के लागत में कराया गया था, जिसकी ऊंचाई करीब 77 मीटर अर्थात् 243 फीट है, कुतुबमीनार जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर अर्थात् 237 फीट है से भी 6 फीट ऊंची है। भारतीयों के लिए छत्तीसगढ़ राज्य एक ऐसा स्थल है, जिसके पग पग को धर्म एवं आस्था स्थलियों का आर्शीवाद प्राप्त हुआ है। इन्हीं तमाम धार्मिक स्थलों में से एक गिरौदपुरी धाम काफ़ी प्रसिद्ध स्थल है। जो जैतखाम जैसी शानदार एवं अनोखी संरचना के लिए इंजीनियरिंग मिशाल देती है, इंजीनियरिंग की करिश्मा कही जाने वाली यह 77 मीटर ऊंची संरचना जिसे देखने दूर दूर से लोग यहां आया करते है, अनोखी एवं अदभुत है। सतनामी संप्रदाय के शाश्वत प्रतीक के रूप में यह पूरी दुनिया को लुभाती हुई भारत देश का सबसे ऊंचा यह जैतखाम स्तंभ इतना आकर्षित करता है कि दूर दूर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं, और इसके आर्किटेक्चर का दीवाना हो जाते हैं।
Giroudpuri Mela गिरौदपुरी मेला : रंगारंग स्थानीय एवं सांस्कृतिक परंपराओं से सुसज्जित यह मेला बहुत अधिक संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यहां का एक प्रमुख आकर्षण केंद्र यहां पर की जाने वाली पूजा की विधि है, जहां सैंकड़ों लोग सफेद कपड़े धारण कर पूजा अनुष्ठान करते हुए नज़र आते हैं।
Amrit Kund अमृत कुंड : गिरौदपुरी से महज 1km. की दूरी पर स्थित अमृत कुंड नामक जगह का इतिहास बहुत ही रोचक है। बताया जाता है कि यहां पर पीने के पानी की बहुत ही अधिक किल्लत हो रही थी, प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी इस समस्या का निवारण नहीं हो रहा था। तब एक स्थानीय साधु द्वारा लोगों की मदद करने के उद्देश्य से तथा समस्या से निजाद पाने हेतु अपनी दैवीय शक्तियों का इस्तेमाल करके पहाड़ के एक हिस्से को अपने अंगूठे से छूकर एक गढ्ढे में बदल कर दिया, जहां पर से मीठे पानी की जलधारा निकल पड़ी। और फिर जिस कुंड में यहां से पानी का भंडारण किया जाने लगा उसे कुंड अमृत कुंड का नाम दिया गया।
सड़क मार्ग द्वारा -गिरौदपुरी धाम रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, भाटापारा, कसडोल, शिबरीनारायण, बिलासपुर, सारंगढ़, बसना आदि शहरों से सड़क माध्यम से पहुंचा जा सकता है ।
वायुयान द्वारा - गिरौदपुरी धाम आने के लिये सबसे नजदीक रायपुर हवाई अड्डा है । यहॉ पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से गिरौदपुरी धाम पहुंचा जा सकता है
ट्रेन के द्वारा - गिरौदपुरी धाम आने के लिये भाटापारा, रायपुर, बिलासपुर एवं महासमुंद रेल्वे स्टेशन हैं । यहॉ पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से गिरौदपुरी धाम पहुंचा जा सकता है ।