वृंदावन की एक अनोखा झलक इस ब्लॉग में A unique glimpse of Vrindavan in this blog

 वृंदावन में तकरीबन 5000 छोटे-बड़े मंदिर हैं. यहां के मंदिर राधा-कृष्ण के अमर प्रेम कहानी गाते हैं. कुछ मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराने हैं  वर्ष 1515 में महाप्रभु चैतन्य ने यहां के कई मंदिरों की खोज की थी. तब से लेकर अब तक कई मंदिर नष्ट हो चुके हैं और कई नए बने. ये मंदिर केवल श्रद्धा की दृष्टि से ही नहीं बल्कि कला के नजरिए से भी बहुत महत्व रखते हैं. घूमने के लिए भी ये खूबसूरत डेस्टिनेशन्स के रूप में सामने आते हैं.


जानिए यहां 10 खास मंदिरों के बारे में...

श्रीकृष्ण जन्मभूमि

गोविंद देव मंदिर

श्री रंगनाथ मंदिर

द्वारकाधीश मंदिर

बांके बिहारी मंदिर

प्रेम मंदिर

निधिवन, वृंदावन

प्रेम मंदिर

बांके बिहारी मंदिर

नंद महल, गोकुल

रमन रेती

गोवर्धन पर्वत

रंगनाथ जी का मंदिर


1.श्रीकृष्ण जन्मभूमि

मथुरा में जन्मभूमि मंदिर के संबंध में मान्यता है इसी जगह पर कंस ने देवकी और वसुदेव जी को कारागृह में बंदी बनाकर रखा था। यहां के मंदिर में कारागृह का प्रतिकात्मक स्वरूप बना हुआ है और प्रथम तल पर भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। जन्माष्टमी पर यहां लाखों भक्त पहुंचते हैं।


2.गोविंद देव मंदिर

वृंदावन में मौजूद भगवान कृष्ण के इस को राजा मानसिंह ने सन 1590 में बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि यह वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। अपने दौर में यह मंदिर 7 मंजिल का हुआ करता था, लेकिन मुगलकाल के दौरान तत्कालीन मुगल आक्रांता औरंगजेब ने इस मंदिर की चार मंजिलों को गिरा दिया था। तब से लेकर अब तक यह मंदिर तीन मंजिल का ही है।


3.श्री रंगनाथ मंदिर

वृंदावन-मथुरा मार्ग पर स्थित श्री रंगनाथ मंदिर वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी दक्षिण शैली की बनावट के लिए काफी मशहूर है। साथ ही यहां का मुख्य आकर्षण दूल्हे के रूप में मौजूद कृष्ण की मूर्ति है। यह मंदिर खासतौर पर एक दक्षिण भारतीय वैष्णव संत- भगवान श्री गोदा रणगमन्नार और कृष्ण के अवतार- भगवान रंगनाथ को समर्पित है।


4.बांके बिहारी मंदिर

उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर वृंदावन में आपको हर जगह भगवान कृष्ण की मौजूदगी का एहसास होगा। यहां नंदलाल को समर्पित कई सारे स्थान हैं, लेकिन श्री बांके बिहारी मंदिर की अपनी अलग महत्वता है। यहां हर साल हजारों-लाखों की संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं। यह मंदिर भारत के प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में आपको राजस्थान शैली की झलक देखने को मिलेगी।


5.प्रेम मंदिर

वृंदावन में मौजूद प्रेम मंदिर अपने आप में खूबसूरती का एक बेहतरीन नमूना है। साल 2001 में इस मंदिर को जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा बनवाया गया था। प्रेम का यह मंदिर राधा कृष्ण के साथ-साथ राम सीता को भी समर्पित है। यहां पर खासतौर पर रात में समय भक्तों की ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है, क्योंकि यहां का लाइट शो बेहद खूबसूरत होता है, जिसका नजारा देखने लायक होता है।


6.द्वारकाधीश मंदिर

मथुरा में स्थित द्वारकाधीश मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। ये मंदिर 1814 में सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था। इस मंदिर के पास ही यमुना नदी का घाट है।


7.निधिवन, वृंदावन

श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए वृंदावन का पूरा गांव ही एक मंदिर की तरह है। वृंदावन में श्रीकृष्ण ने कई लीलाएं की थीं। यहां का निधिवन बहुत ही खास है। ऐसी मान्यता है कि इस वन में आज भी श्रीकृष्ण गोपियों संग रासलीला रचाते हैं। वृंदावन में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है।


8.नंद महल, गोकुल

श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल में ही बीता था। यहां का नंद महल प्रमुख मंदिर है। वसुदेव जी बाल कृष्ण को कंस के कारागृह से लेकर गोकुल पहुंचे थे। यहां वसुदेव जी ने कृष्ण को नंद बाबा और यशोदा जी के पास छोड़ा था। इसके बाद माता यशोदा ने कान्हा जी का पालन किया था।

9.रमन रेती

रमन रेती के संबंध में कहा जाता है कि इसी जगह पर श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ खेलते थे। इसी मान्यता की वजह से यहां आने वाले भक्त रमण रेती में खेलते हैं और खुद को धन्य समझते हैं।


10.गोवर्धन पर्वत

गोवर्धन पर्वत को श्रीकृष्ण ने पूजनीय बताया है। उस समय गोकुल के लोग इंद्रदेव की पूजा करते थे। श्रीकृष्ण ने गांव वालों से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था। जब लोगों ने इंद्रदेव की पूजा बंद कर दी इंद्र क्रोधित हो गए थे और उन्होंने पूरे क्षेत्र में भयंकर बारिश शुरू कर दी थी। बारिश से गांव के लोगों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। तभी से गोवर्धन पर्वत की महिमा बढ़ गई। आज भी काफी लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, पूजा करते हैं।


11.रंगनाथ जी का मंदिर

वृंदावन का रंगनाथ जी का मंदिर भी बहुत ही दर्शनीय है। क्षेत्रफल की दृष्टि से ये बहुत ही बड़ा मंदिर है। यहां ये मंदिर भगवान विष्णु के रंगनाथ स्वरूप को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 1850 के आसपास हुआ था, इसे बनने में करीब 6 साल लगे थे।


मंदिर का समय: सुबह 05:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 04:00 बजे से रात 08:00 बजे तक


मथुरा और वृंदावन कैसे पहुंचे?

मथुरा और वृंदावन के पवित्र शहर सभी प्रमुख भारतीय शहरों से हवाई मार्ग से आसानी से जुड़े हुए हैं और निकटतम हवाई अड्डा आगरा में लगभग 65 किमी दूर स्थित है। हालाँकि, मथुरा में एक रेलवे जंक्शन है जिसमें एक अच्छी तरह से जुड़ी हुई रेल प्रणाली है और यह सभी प्रमुख उत्तरी शहरों से जुड़ती है। यदि आप रोडवेज के माध्यम से यात्रा करने का निर्णय लेते हैं, तो आप यूपीएसआरटीसी बस सेवाओं की जांच कर सकते हैं।


निकटतम हवाई अड्डा: आगरा में खेरिया हवाई अड्डा

रेलवे स्टेशन: मथुरा जंक्शन

उत्तर प्रदेश के ये दोनों धार्मिक स्थल अपनी आध्यात्मिक सुगंध से आपको मोहित कर लेंगे। भले ही मथुरा और वृंदावन को अक्सर तीर्थयात्रियों के साथ थिरकते देखा जाता है, लेकिन वे ऐसी भावना पेश करते हैं जो आपके दिल को पिघला सकती है और शायद आप जो चाहते हैं उसे ढूंढने में आपकी मदद करती हैं।



Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.