दलहा पहाड़ स्थित है जांजगीर चांपा जिले में Dalha mountain is located in Janjgir Champa district

 

जांजगीर चांपा जिले में अकलतरा के पास में दलहा पहाड़ अगर आप एडवेंचर पसंद करते हैं और कुछ हटकर एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो ये ट्रिप आपके लिए बहुत खास होगी दलहा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए जंगल से गुजरते हुए और पत्थर से भरा लंबा रास्ता तय करने के बाद 4 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई कड़नी पड़ती है मार्ग में आपको कुछ प्रसिद्ध कुंड और मंदिर भी मिलेंगे यहां के एक सूर्य कुंड को लेकर मानता है कि जो भी उसका पानी पीता है उसकी हर बीमारी दूर हो जाती है इस पहाड़ को लेकर कुछ रहस्यमई बातें भी की जाती है जो लोगों का आकर्षण भी बढ़ती है पहाड़ के बारे में और जानते हैं

दलहा पहाड़ है दलहापुरी गांव में स्थित

अकलतरा तहसील के दलहा पुरी गांव में स्थित है दलहा पहाड़ जो अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण लोगों में अत्यंत की प्रसिद्ध है पहाड़ की ऊंचाई लगभग 700 मीटर है माना जाता है कि सतनामी समाज के संस्थापक दुर्घटना यहीं पर तपस्या की थी और दलहा पुरी में ही उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था इस पहाड़ के ऊपरी चोटी पर पहुंचाने एवं ऊ
पर से पहाड़ के चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं विशेष रूप से महाशिवरात्रि एवं नाग पंचमी के दिन यहां पर बेहद भेद होती है मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड विशेष प्रसिद्ध है यहां के पंडित उमाशंकर गुरुद्वान के मुताबिक ऐसी मान्यता है कि नाम पृथ्वी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ ठीक रहता है लोगों में किसी भी प्रकार की बीमारी हो तो वहां पानी पीने से दूर हो जाती है

दलहा पहाड़ में स्थित अनेक मंदिर

पहाड़ के साथ लोगों की धार्मिक आस्था जुडी हुई है कहा जाता है कि दलहा गिरी अथवा सुंदर गिरी के इस पहाड़ पर दलहा बाबा विराजमान है यहां आपको दलहा पहाड़ के नीचे एवं चारों तरफ अनेक मंदिर भी देखने को मिलता है जिसमें श्री सिद्धू मुनि आश्रम नाग नागिन मंदिर श्री कृष्ण मंदिर आदि काव्य प्रसिद्ध है चतुर्भुज मैदान भी यहां की खासियत है यहां एक राहत समय गुफा भी है या कहा कहां धोखे इसका अभी तक किसी को ज्ञात नहीं हुआ है

दलहा पहाड़ में है 10 कुंड का निर्माण

पहाड़ पर 10 कुंड है यहां भक्त चारों ओर से पहाड़ पर चढ़ते हैं जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का भीड़ रहता है आज तक लोग 8 को ही देख पाए हैं गुंडों की जानकारी नहीं मिली है इनमें से कौन-कौन को बहुत ही पवित्र माना जाता है शरीर की बीमारियां दूर होती हैं कुंड सा पानी साल भर वैसा का वैसा ही रहता है कभी भी नहीं सकता

दलहा पहाड़ चढ़ते समय रखें सावधानी

पहाड़ के चारों ओर कोर्ट गर्ल पंसारी पंडरिया एवं पूरी गांव है यहां से घर जंगल के अंदर से जब लोग बाहर की ओर बढ़ते हैं तो उन्हें कटीले पौधे और पथरी पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है कितनों के पैरों में कांटे करते हैं एक जंगल में कीड़े और सांप भी रहते हैं इसलिए दल्हा पहाड़ सावधानी से चढ़े और अच्छे जूते का इस्तेमाल करें ताकि पहाड़ चढ़ते समय आपके पैर लगड़ाते है फिर भी चोट से बचे रहे

दलहा पहाड़ में क्या है दर्शन के लायक

दलहा बाबा के दर्शन के लिए यहां आते हैं लोग महाशिवरात्रि और नागफनी के अलावा यहां पर अघन शुक्ल के दिन ही बहुत अच्छा माहौल होता है इस दिन यहां हवन का भी आयोजन होता है तथा आश्रम परिसर में 100 मीटर से भी लंबा झंडा फहराया जाता है आश्रम की एक और खास बात यह है कि क्या बाबा के बुलाने से लंगूर उनके पास आते हैं जैसे ही बाबा उनको बुखार पर बंदर खाने के लिए दौड़ते हुए उनके पास पहुंच जाते हैं

दलहा पहाड़ बना है ज्वालामुखी से

जानकारों का मानना है कि दलहा पहाड़ भूगर्भिक क्रिया अर्थात ज्वालामुखी उद्गार से निर्मित हुआ है जांजगीर चांपा क्षेत्र पठारी यहां चुना पत्थर भारी मात्रा में पाए जाते हैं यही कारण है कि दलहा पहाड़ की चट्टानें भी चूना पत्थर की है

             दलहा पहाड़ बिलासपुर जिले से लगभग 40 किलोमीटर एवं जांजगीर चंपा मुख्यालय से करीब 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अकलतरा रेलवे स्टेशन से यहां टैक्सी द्वारा भी पहुंचा जा सकता है बाहर से आने वाले यात्री विवेकानंद हवाई अड्डे रायपुर आने के बाद टैक्सी लेकर यहां आ सकते हैं अकलतरा सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है

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