भगवान गणेश देवो के देव भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र हैं। भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। रिद्धि और सिद्धि भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। भगवन गणेश का नाम हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले लिया जाता है सभी प्रकार के नए काम की शुरुवात करने से पहले भगवान गणेश जी को पूजा जाता है इन्हे समृद्धि , बुद्धि ,और सफलता ,के देवता और जीवन से बढ़ाओ को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है
1.तमिलनाडु में स्थित गणेश जी का मंदिर: तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) में रॉक फोर्ट नामक पहाड़ी के सबसे उपर स्थित उच्ची पिल्लयार मंदिर बहुत ही प्राचीन माना जाता है। इससे जुड़ी एक मान्यता है कि यहां रावण के भाई विभीषण ने एक बार भगवान गणेशजी पर वार किया था। कथा अनुसार राम ने उन्हें विष्णु की मूर्ति लंका में विराजमान करने के लिए दी थी और शर्त यह कि ले जाते वक्त भूमि पर न रखें अन्यथा ये मूर्ति वहीं विराजमान हो जाएगी। इधर, देवता लोग नहीं चाहते थे कि यह मूर्ति राक्षस राज्य में विराजमान हो तब उन्होंने गणेशजी को पाठ पढ़ा दिया। बिचारे गणेश जी एक बालक का पोशाक बदल कर विभूषण के पिछा करने लगे रास्त में विभीषण ने सोच थोड़ा स्नान ध्यान कर लिया जाए। उन्होंने उस बालक को देखकर कहा कि ये मूर्ति संभालों इसे नीचे मत रखना मैं अभी नदी में स्नान करके आता हूं। बालरूप में गणेशजी ने वह मूर्ति ले ली और उनके जाने के बाद भूमि पर रख दी और जाकर उक्त पहाड़ी पर छुप गए। जब विभीषण को पता चला तो दिमाग खराब हो गया वह उस बालक को ढूंढते हुए उसी पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए जहां उन्होंने उस बालक को देखकर उसके सिर पर प्रहार किया। तब गणेशजी अपने असली रूप में प्रकट हो गए तो यह देखकर विभीषण पछताए और उन्होंने क्षमा मांगी तभी से इस चोटी पर गणेशजी विराजमान हैं। हालांकि इसका संबंध 7वीं शताब्दी से बताया जाता है। 273 फुट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में 400 के लगभग सीढ़ियां हैं
2. कनिपकम विनायक मंदिर, चित्तूर : यह मंदिर आंधप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरूपति मंदिर से 75 किमी दूर स्थित है। यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्त अपने पाप धोने के लिए मंदिर के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं
3.मनकुला विनायगर मंदिर, पुडुचेरी : यह भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा को कई बार समुद्र में फेंक दिया गया था, लेकिन यह उसी स्थान पर फिर से रोजाना प्रकट हो जाती थी। लगभग 1600 वर्ष से भी अधिक प्राचीन इस मंदिर का पुन: निर्माण फ्रांस की अधीनता के काल में करवाया गया था।
4.मधुर महागणपति मंदिर, केरल : यह भी अति प्राचीन मंदिर है जो मधुवाहिनी नदी के तट पर बना है। दसवीं शताब्दी के इस मंदिर की गणेश मूर्ति न ही मिट्टी की बनी है और न ही किसी पत्थर की यह न जाने किस तत्व से बनी है। इस मंदिर और इसकी मूर्ति को नष्ट करने के लिए एक बार टीपू सुल्तान यहां आया था परंतु यहां की किसी चीज ने उसे आकर्षित किया और उसका फैसला बदल गया
इस मंदिर से जुड़ी रोचक कथा यह भी है कि पहले ये मंदिर भगवान शिव का हुआ करता था, परंतु प्राचीन कथा के अनुसार पुजारी के बेटे ने यहां भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। पुजारी का ये बेटा छोटासा बच्चा था। कहते हैं कि खेलते-खेलते मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई उसकी प्रतिमा का धीरे-धीरे आकार बढ़ाने लगा। वो हर दिन बड़ी और मोटी हो जाती थी। उसी समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।
5. गणपति मंदिर, बेंगलुरु : डोड्डा बसवन्ना गुड़ी में स्थित यह मंदिर कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित है जिसकी प्रसिद्धि भी दूर दूर तक फैली है यह अनोखा मंदिर है लोग हजारों की सख्या में यहा आते है और दर्शन करते है और अपने जीवन को सुखमय बनाते हैं
6.गणेश मंदिर, राजस्थान : वाइल्ड लाइफ के अलावा रणथंबौर नेशनल पार्क अपने मंदिर के लिए भी फेमस हैं। भारी संख्या में भक्तजन यहां गणेशजी के त्रिनेत्र स्वरूप के दर्शन करने आते हैं। करीब 1000 साल पुराना यह मंदिर रणथंबौर किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित है इस जगह के दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते है और यहां आकार लोग चिंता मुक्त होंकर इस स्थान का आंनद लेते है
7.गंगटोक (सिक्किम) : बौद्ध धर्म के अनुयायियों के इस स्थान पर गणेशजी का यह मंदिर अपनी खूबसूरती और बेहतरीन लोकेशन के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के अंदर गणेश जी की विशाल और सुंदर प्रतिमा है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा पथ से गंगटोक शहर का नजारा मन को मोह लेता है मनमोहक इस जगह पर दर्शन के लिए एक बार जरूर जाना चाहिए इसकी खुबसूरती सबको अपनी ओर लुभाती हैं
8.डोडीताल, उत्तराखंड : उत्तरकाशी जिले के डोडीताल को गणेशजी का जन्म स्थान माना जाता है। यहां पर माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर हैं जहां गणेशजी अपनी माता के साथ विराजमान है कि मूल रूप से बुग्याल के बीच में काफी लंबी-चौड़ी झील है, वहीं गणेश का जन्म हुआ था। यह भी कहा जाता है कि केलसू, जो मूल रूप से एक पट्टी है (पहाड़ों में गांवों के समूह को पट्टी के रूप में जाना जाता है) का मूल नाम कैलाशू है। इसे स्थानीय लोग शिव का कैलाश बताते हैं
केलसू क्षेत्र असी गंगा नदी घाटी के सात गांवों को मिलाकर बना है। गणेश भगवान को स्थानीय बोली में डोडी राजा कहा जाता हैं जो केदारखंड में गणेश के लिए प्रचलित नाम डुंडीसर का अपभ्रंश है। मान्यता अनुसार डोडीताल क्षेत्र मध्य कैलाश में आता था और डोडीताल गणेश की माता और शिव की पत्नी पार्वती का स्नान स्थल था। इस जगह को गणेश जी का जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है जो एक विशाल पर्वत गिरी के ऊपर विराजमान है लोकप्रिय के रूप में भी जाना जाता है