Top best 6 गणेश जी का मंदिर Top best 6 Ganesh ji temple 2023


आइए जानते है संसार में हजारों गणेश मंदिर हैं। देश-विदेश में भगवान गणेश की कई प्राचीन प्रतिमाएं विराजमान हैं परंतु देश में कुछ ऐसे खास मंदिर हैं जिनकी प्रसिद्धि और प्रताप दूर-दूर तक फैला और जहां लाखों की संख्यां में भक्त एकत्रित होते हैं। आओ जानते हैं ऐसे ही खास 5 मंदिरों की संक्षिप्त जानकारी के अलावा सभी महत्वपूर्ण मंदिरों की भी जानकारी


1.गणेशोत्सव के लिए 107 फीट ऊंचा पंडाल

गणेश चतुर्थी 2023: कोरबा में कोलकाता के कारीगर तैयार कर रहे 

कोरबा जिले में 18 सितंबर को गणेशोत्सव का आगाज होने वाला है। इसके लिए कोरबा जिले की गणेशोत्सव समितियों द्वारा तैयारियां तेज कर दी गई है। खासकर ये गणेशचतुर्थी कटघोरा क्षेत्र के लिए बेहद खास रहेगी। क्योंकि यहां 107 फीट ऊंचे पंडाल में विराजमान होंगे गजानंद स्वामी। अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के स्वरूप में इस पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है


कितना खर्च होगा 

कोलकाता के कारीगरों द्वारा इस भव्य पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आयोजन में करीब 70 लाख से अधिक खर्च होगा। खास बात ये है कि इस आयोजन में देश के विभिन्न प्रांतों से झांकियां मंगाई गई है। कटघोरा नगर को दुल्हन को तरह सजाया जा रहा है।


2. रायपुर के इस गणेश पंडाल की देशभर में हो रही चर्चा

रायपुर। चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। जिसके बाद भारत ने इतिहास रचकर दुनिया को दिखा दिया। भारत की सफल चंद्रयान को कई तरीके से सेलिब्रेट किया जा रहा है। इसका सीधा असर राजधानी रायपुर में देखने को मिला है। जहां चंद्रयान 3 की तर्ज पर गणेश पूजा का पंडाल तैयार किया गया है। जिसमें चंद्रयान 3 का थीम बनाया गया है। इसके लिए रायपुर में 120 फीट ऊंचा गणेशोत्सव पंडाल तैयार किया गया है



 जानकारी के अनुसार, राजधानी रायपुर के कालीबाड़ी स्थित इस पंडाल को तैयार किया गया है। इस पंडाल की उंचाई 120 फीट और 70 फीट चौड़ा है। इस पंडाल को रॉकेट की शक्ल पर तैयार किया गया है। जो बिल्कुल चंद्रयान तीन से मेल खाता है। इस पंडाल को बनाने के लि ए कोलकाता के तीस कारीगरों ने रात दिन काम किया गया है। जिसके बाद जाकर पूरा तैयार हुआ है। जो अब आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस चंद्रयान 3 की पंडाल का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और इस पंडाल को देखने के लिए लोग दूर दूर से आ रहे हैं रोजाना

 

3.सिद्धि विनायक गणेश मंदिर मुंबई : इस मंदिर का निर्माण 19 नवंबर सन 1801 में गुरूवार के दिन पूर्ण हुआ था। मुंबई प्रभादेवी में काका साहेब गाडगिल मार्ग और एस.के. बोले मार्ग के कोने पर वह मंदिर स्थित है। माटूंगा के आगरी समाज की स्वर्गीय श्रीमती दिउबाई पाटिल के निर्देशों और आर्थिक सहयोग से एक व्यावसायिक ठेकेदार स्वर्गीय लक्ष्मण विथु पाटिल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। आज इस मंदिर को गजानन के विशेष मंदिर का दर्जा प्राप्त है। मंदिर की सिद्ध‍ि और प्रसिद्ध‍ि इतनी है कि आम हो या खास, सभी बप्पा के दर पर खिंचे चले आते हैं



*महाराष्‍ट्र में सिद्धि विनायक मंदिर की तरह भी दगड़ू सेठ गणपति का मंदिर भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है यह महाराष्ट्र का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इसे आम बोलचाल में दगडू सेठ का मंदिर भी कहते हैं। इसे श्रीमंत दग्‍दूशेठ नाम के हलवाई ने अपने बेटे की प्‍लेग से मौत हो जाने के बाद बनवाया था।

 

4.अष्टविनायक मंदिर महाराष्ट्र : जिस प्रकार भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है वैसे ही गणपति उपासना के लिए महाराष्ट्र के अष्टविनायक मंदिरों का विशेष महत्व है। महाराष्ट्र में पुणे के समीप अष्टविनायक के आठ पवित्र मंदिर 20 से 110 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित हैं। इन मंदिरों का पौराणिक महत्व और इतिहास है। इनमें विराजित गणेश की प्रतिमाएं स्वयंभू मानी जाती हैं। इन सभी मंदिरों के बारें में गणेश और मुद्गल पुराण में बताया गया। ये मंदिर हैं- 1,मयूरेश्वर या मोरेश्वर मंदिर, पुणे, 2. सिद्धिविनायक मंदिर, अहमदनगर, 3. बल्लालेश्वर मंदिर, रायगढ़, 4. वरदविनायक मंदिर, रायगढ़, 5. चिंतामणी मंदिर, पुणे, 6. गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर, पुणे, 7. विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर, ओझर और 8. महागणपति मंदिर, राजणगांव

 

5. चिंतामन गणपति उज्जैन : उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान गणेश का प्राचीनतम मंदिर स्थित है। इसे चिंतामण गणेश के नाम से जाना जाता है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही गणेशजी की तीन प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक। यह स्वयंभू मूर्तियां हैं। ऐसी मान्यता है कि चिंतामण चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं, इच्छामन अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते हैं जबकि सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करते हैं। चिंतामण गणेश मंदिर परमारकालीन है, जो कि 9वीं से 13वीं शताब्दी का माना जाता है। इस मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में हुआ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिंतामण गणेश मंदिर माता सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक हैं

उज्जैन में बड़ा गणेश का मंदिर भी चमत्कारिकक है। लाल रंग के बड़े से गणेश पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ यहां विराजमान हैं। इस मंदिर में पंचमुखी हनुमान भी मौजूद हैं। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां पर ज्योतिष और संस्कृति भाषा का ज्ञान भी दिया जाता है।


6. खजराना गणेश मंदिर, इंदौर : मध्यप्रदेश में चिंतामण गणपति की तरह इंदौर का खजराना गणेश मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। वक्रतुंड श्रीगणेश की 3 फुट प्रतिमा चांदी का मुकुट धरे रिद्धी-सिद्धी के साथ विराजमान हैं

जिनका नित्य पूजन विधि-विधान से होता है। गणेशजी की यह मूर्ति भी मंदिर के सामने बावड़ी से निकाली गई थी। इसके बावड़ी में होने का संकेत मंदिर के पुजारी भट्टजी के पूर्वजों को स्वप्न के माध्यम से मिला। जिसे आपने श्रद्धापूर्वक वर्तमान स्थान पर विराजित किया तब मंदिर काफी छोटा था। बाद में 1735 में मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार देवी अहिल्याबाई ने कराया। इसके बाद 1971 से लगातार इसकी सज्जा का कार्य जारी है।

 

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