कोरबा के प्रसिद्ध सर्वमंगला मंदिर Famous Sarvamangala Temple of Korba

 सर्वमंगला कोरबा जिले के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। इस मंदिर की देवी दुर्गा है। यह मंदिर कोरेश के जमींदार में से एक राजेश्वर दयाल के पूर्वजों द्वारा बनाया गया था। मंदिर त्रिलोकिननाथ मंदिर, काली मंदिर और ज्योति कलाश भवन से घिरा हुआ है। वहाँ भी एक गुफा है, जो नदी के नीचे जाता है और दूसरी तरफ निकलता है। रानी धनराज कुंवर देवी को मंदिर में अपनी दैनिक यात्रा के लिए इस गुफा के लिए इस्तेमाल किया गया था।


कोरबा:-चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कोरबा के मां सर्वमंगला मंदिर में भारी संख्या में भक्तों का जनसैलाब दिखा. मंदिर परिसर में हजारों की तादाद में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए. चैत्र नवरात्रि के दिन दूसरे पहर में इन मनोकामना ज्योति कलश को प्रज्वलित किया गया. इस बार ज्योति कलश के लिए सऊदी अरब से भी पर्ची काटी गई है.मंदिर परिसर में लगी भक्तों की कतार:नवरात्रि जैसे खास अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. भक्त लगभग 2000 मीटर से भी लंबी दूरी तक कतारबद्ध होकर माता के दर्शन को खड़े रहते हैं. इस बार भी, हर बार की तरह मंदिर में खास तरह की सजावट की गई है. साज सज्जा के साथ मंदिर में लाल चुनरी, फूल, नारियल के साथ ही कई तरह की सजावट देखने को मिल रही है.

सऊदी अरब के ज्योति कलश :- सर्वमंगला मंदिर के पुजारी योगेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि "माता की महिमा अपरंपार है. चैत्र नवरात्रि में हम हर साल विशेष तैयारी करते हैं. इस वर्ष भी मंदिर में खास तैयारियां की गई है. मनोकामना दीप प्रज्जवलित करने के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं. यह माता की ख्याति है कि, इस वर्ष भी विदेश से मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करने के लिए अर्जियां आई हैं. एक पर्ची सऊदी अरब से कटी है, जबकि अन्य विदेशी स्थानों से भी ऐसी पर्चियां काटी गई हैं.


मंदिर का भूगोल :- जब आप मंदिर आते है तो आपको आपको मंदिर के चारो ओर मंदिर परिसर में बहुत से मंदिर देखने की मिलते है, साथ ही यह बहुत से कबूतरों ने भी अपना घर बना रखा है| जब आप मंदिर के मुख्य दरवाजे से अन्दर जाते है| तो आपको 2 सिंह देखने को मिलते है जिसे मंदिर में माँ दुर्गा के वाहको के रूप में दिखाए गये है | मंदिर के अंदर माँ दुर्गा माँ सर्वमंगल के रूप में दिखाई देती है, साथ ही मंदिर के अंदर दीवारों में हमें माँ दुर्गा के नव रूप देखने को मिलते है मुख्य मंदिर से बाहर निकलते ही हमें कुछ और खुबसूरत मंदिर देखने की मिलते है| जिसमे त्रिलोकिनाथ मंदिर वतेस्वर हनुमान मंदिर काली मंदिर विष्णु मंदिर शनि मंदिर है साथ ही इन मंदिरों से कुछ दुरी पर एक गार्डन भी बनाया गया है

मौजूद है 500 वर्ष पुराना वटवृक्ष :- मंदिर परिसर में ही बरगद का विशाल पेड़ मौजूद है. जिसे करीब पांच सौ साल पुराना बताया जाता है. इसे मन्नतें पूरी करने वाला पेड़ माना जाता है. कहा जाता है कि पहले हसदेव नदी के तट के किनारे मौजूद इस बरगद के पेड़ के नीचे हाथी विश्राम किया करते थे. इस पेड़ की डालियों पर मोरो का बसेरा हुआ करता था. लोगों का मानना है कि इस पेड़ में रक्षासूत्र बांधकर जो भी मन्नत मांगी जाए वह अवश्य पूर्ण होती है, इसलिए दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर माता के दरबार पहुंचते है.

सर्वमंगला मंदिर में अदभूत गुफा :- मंदिर परिसर से कुछ ही दूरी पर एक गुफ़ा समूह भी है । इन्हीं गुफाओं में से किसी एक गुफा से हसदेव नदी के दूसरे तट पर स्थित रानी महल के अंदर से आने-जाने के लिए एक गुप्त सुरंग भी है। जिसमें अब आवागमन पूर्णतः बंद है। मंदिर परिसर में मनोकामना ज्योति कलश भी बने हुए हैं। जिसमें हजारों भक्तों और श्रद्धालुगण अपनी-अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, घी और तेल के ज्योति कलश प्रज्वलित कराते हैं। उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । अगले वर्ष ज्योति कलश की संख्या और भी बढ़ जाती है। सर्वमंगला माँ की ख्याति निरंतर बढ़ रही है और मनोकामना ज्योति कलश की भी।

सर्वमंगला मंदिर कैसे पहुंचे 

सड़क मार्ग - माता सर्वमंगला मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जायेगी जिससे आप अपने वाहनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। यह जांजगीर चांपा से 50 किलोमीटर व बिलासपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |

रेल मार्ग - माता सर्वमंगला मंदिर से सबसे निकतम रेलवे स्टेशन है, कोरबा रेलवे स्टेशन जिसकी दुरी लगभग 4 किलोमीटर है 

हवाई मार्ग - माता सर्वमंगला मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है बिलासपुर हवाई अड्डा जिसकी दूरी लगभग 90 किलोमीटर है 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.